ये दमदार Murder Mystery नहीं देंगी आपको पलकें झपकाने का मौका, जगा देगी आपके अंदर का डिटेक्टिव
‘गुमनाम है कोई…बदनाम है कोई…’ ये पंक्तियां पढ़कर आपको पुराने दौर का एक ऐसा गाना याद आ गया होगा जिसने लोगों को खूब डराया था। यह गाना 1954 में आई फिल्म ‘गुमनाम’ का था। इस थ्रिलर फिल्म ने रिलीज होने पर कई नए रिकॉर्ड बनाए थे। आज आपको बॉलीवुड की कई ऐसी ही फिल्मों के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने आते ही तहलका मचा दिया था।

बॉक्स ऑफिस पर कई सारी फिल्में हर वीकेंड रिलीज होती हैं। इनमें हॉरर, कोर्टरूम ड्रामा,मर्डर मिस्ट्री जैसे कई जॉनर शामिल हैं। वहीं हल्की फुल्की कैटेगरी में रोमांस, रॉम कॉम और कॉमेडी फिल्में आती हैं जो हमेशा एवरग्रीन होती हैं।
वैसे भी इन दिनों मिस्ट्री, क्राइम और थ्रिलर का ट्रेंड सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। अगर आप भी क्राइम, थ्रिलर और मिस्ट्री से भरपूर फिल्मों और वेब सीरीज की शौकीन हैं, तो यहां हम एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी कहानी का क्लाइमेक्स आपको चौंका देगा और अंत इतना दिलचस्प होगा कि आखिरी में आप ही कातिल की खोज में लग जाएंगे।
गुमनाम (Gumnaam)यह एक रहस्यमयी रोमांचक फिल्म है, जिसमे मनोज कुमार, नंदा, प्राण, हेलन, मदन पुरी और महमूद जैसे अभिनेता मुख्य भूमिका में है। फिल्म की कहानी 1939 में आए मिस्ट्री नोवेल ‘एंड देन देयर वर नन’ पर आंशिक रूप से आधारित थी। फिल्म के सस्पेंस ने उस दौर में दर्शकों को एक नई तरह की कहानी दी। 54 साल पहले बॉक्स ऑफिस पर आई इस फिल्म ने धमाल मचा दिया था।
मनोरमा सिक्स फीट अंडर (Manorama Six Feet Under)
इस फिल्म को देखने पर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप कोई मर्डर मिस्ट्री देखने से ज़्यादा क्राइम नॉवेल पढ़ रहे हैं। धीमी गति से आगे बढ़ती मनोरमा... एक सीधी रेखा को छोड़कर घुमावदार रास्ते पर चली जाती है। निर्देशक नवदीप सिंह की ये पहली फिल्म थी। यह इतनी दमदार है कि आप कभी-कभी अपने चेहरे पर राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी और रेत को महसूस कर सकते हैं।
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दृश्यम (Drishyam Malyalam Film)जॉर्जकुट्टी (मोहनलाल) अपनी पत्नी और बेटियों के साथ खुशहाल जीवन जी रहा है। हालांकि, जब उसका परिवार अनजाने में कोई अपराध कर बैठता है, तो हालात बदतर हो जाते हैं, और उसे अपने परिवार और उनके रहस्य की रक्षा करने की ज़िम्मेदारी उठानी पड़ती है। दृश्यम की शुरुआत सुरक्षा की झूठी भावना से होती है।
तलवार (Talvar)तलवार कोई आम रहस्य नहीं है। इसमें एक हत्या और एक गहन रहस्य है, लेकिन सीट से चिपककर बैठने और नाखून चबाने वाले सस्पेंस के बजाय, यह एक ड्रामा है जो आपको अपनी ओर खींचता है। यह मामला सालों से भारतीयों की सामूहिक चेतना में रहा है, इसलिए कथानक रहस्यमय नहीं है। यह एक ऐसा मामला है जिसने भारत के मध्यम वर्ग के ताने-बाने को बदल दिया है, इसलिए हम सभी के दिमाग में अपने-अपने अपराधी हैं। फिल्म की कहानी 2008 में नोएडा के दोहरे हत्याकांड की सच्ची कहानी पर आधारित है।
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रात अकेली है (Raat Akeli Hai)
रात अकेली है को सीधे ओटीटी पर रिलीज़ किया गया था। नए निर्देशक हनी त्रेहान की आत्मविश्वास से भरी और हत्या की गुत्थी इतनी परतदार और भीड़ भरी है कि आपको कहानी में प्रवेश करना मुश्किल लग सकता है। लेकिन, एक बार जब आप अंदर घुस जाते हैं तो छोड़ना मुश्किल लगेगा। कहानी इंस्पेक्टर जटिल यादव (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक अमीर जमींदार खालिद तैयबजी (रघुबीर सिंह) की हत्या को सुलझाता है। उसकी नई पत्नी, राधा (राधिका आप्टे) एक संदिग्ध है।
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