शासकों के लिए आज भी आदर्श हैं सम्राट विक्रमादित्य : उप राष्ट्रपति श्री धनखड़
दिल्ली की शाम हुई मालवा की संस्कृति से मनोहारी
लाल किला परिसर में तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का हुआ शुभारंभ
14 अप्रैल तक चलेगा महानाट्य का महामंचन, 250 कलाकार एक साथ कर रहे हैं अभिनय

उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा है कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने शासन से उस काल को और भारत को गौरवान्वित किया। हमारी सांस्कृतिक चेतना के विकास में सम्राट विक्रमादित्य का अतुल्य योगदान रहा। वे शासकों के लिए आज भी एक आदर्श हैं। वे बड़े प्रजा वत्सल थे। उन्होंने शासकों को सिखाया कि एक राजा को किस तरह अपनी प्रजा की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपने शासनकाल में कला संस्कृति, साहित्य और विज्ञान के संरक्षण और संवर्धन से भारत राष्ट्र को समृद्ध किया। उप राष्ट्रपति श्री धनखड़ शनिवार शाम को दिल्ली के लाल किला परिसर स्थित माधादास पार्क में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उप राष्ट्रपति श्री धनखड़़ एवं अन्य अतिथियों ने इस तीन दिवसीय सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन आयोजन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन 14 अप्रैल तक लगातार जारी रहेगा। महामंचन की शुरुआत राष्ट्र गान से हुई।
उप राष्ट्रपति श्री धनखड़़ ने कहा कि हमारी संस्कृति एक मिसाल है कि भारतीय जीवन मूल्यों के साथ जीवन कितना सहज और सरल हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है।

उप राष्ट्रपति श्री धनखड़ ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली में किए जा रहे इस महा आयोजन के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बधाई और साधुवाद देते हुए कहा कि केंद्र एवं दिल्ली सरकार के साथ मिलकर यह सिलसिला आगे भी जारी रहना चाहिए। हमें हमारी संस्कृति के संवर्धन के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए और उन्हें खुशी है कि मध्यप्रदेश में यह कार्य बड़ी लगन और कुशलता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजे रखना है। हमें इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने के लिये प्रयास करना चाहिए।
धीरता, वीरता, संवेदनशीलता के प्रतीक थे सम्राट वीर विक्रमादित्य - मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्राट वीर विक्रमादित्य के शासनकाल को भारतीय इतिहास का गौरवशाली काल बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को सहेजने और संवारने में विक्रमादित्य का अमिट योगदान है। उन्होंने सिर्फ़ शासन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी संस्कृति सदैव समृद्ध रही है और आगे भी रहेगी। हमारी संस्कृति मां गंगा की अविरल धारा की तरह सदैव अक्षुण्ण रहेगी। हमें अपने अतीत पर गर्व है और यह भावना हमें भावी पीढ़ी तक भी पहुंचानी है। देश की राजधानी दिल्ली में विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के मूल में हमारी यही मंशा है। उन्होंने सभी से इस आयोजन का लाभ उठाकर अपने इतिहास के गौरवशाली काल को देखने, समझने और आनंद लेने की अपील की।
सांस्कृतिक उत्कर्ष का सोपान था विक्रमादित्य का शासन – केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत

दिल्ली और मेरे लिए परम सौभाग्य की बात- सीएम श्रीमती गुप्ता
दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार जताया। उन्होंने कहा कि डॉ. यादव ने दिल्ली की जनता को विक्रमादित्य के चरित्र और शौर्य से साक्षात्कार करने का अवसर दिया है। मेरा और दिल्ली का परम सौभाग्य है कि आज सम्राट विक्रमादित्य को और अधिक समझने का अवसर प्राप्त हुआ। सौभाग्य की बात है कि शौर्य और पराक्रम के प्रतीक सम्राट विक्रमादित्य पर महानाट्य का महामंचन यहाँ हो रहा है। दिल्लीवासी आज इतिहास से रुबरू हो रहे हैं। वे सम्राट विक्रमादित्य के शौर्य, पराक्रम, वीरता, कुशलता और सुशासन को अपनी आंखों से देख रहे हैं इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव का बहुत-बहुत धन्यवाद।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल, श्री शिवप्रकाश, उप राष्ट्रपति की धर्मपत्नी डॉ. श्रीमती सुदेश धनखड़, मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव पर्यटन और संस्कृति श्री शिवशेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव आनंद विभाग श्री राघवेंद्र कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार डा. श्रीराम तिवारी, डॉ. अतुल जैन सहित मध्यप्रदेश एवं दिल्ली सरकार के मंत्रीगण, विधायकगण तथा विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन के 250 से अधिक कलाकारों सहित बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश एवं दिल्ली के कलाप्रेमी और नागरिक उपस्थित थे।
14 अप्रैल तक चलेगा महानाट्य का महामंचन
रविवार 13 अप्रैल को आयोजित होने वाले महानाट्य के महामंचन में मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे.पी. नड्डा शामिल होंगे। सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य

कार्यक्रम में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा ‘विक्रमादित्यकालीन मुद्रा और मुद्रांक’ की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। इसमें 100 से अधिक ऋषियों के जीवन और योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है। जनसम्पर्क विभाग द्वारा ‘मध्यप्रदेश का विकास एवं उपलब्धियां’ विषय पर और पर्यटन एवं उद्योग विभाग द्वारा भी प्रदर्शनियां भी यहां लगाई गई हैं।
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