Friday, September 5, 2025

गम और गौरव की अनुभूति एक साथ, शहीद जवान अमर रहे के नारों से गूंजा पलामू

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 गम और गौरव की अनुभूति एक साथ, शहीद जवान अमर रहे के नारों से गूंजा पलामू



मनातू थाना क्षेत्र के केदल जंगल में बुधवार रात नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए पलामू पुलिस बल के वीर जवान सुनील राम का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव परता में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सूर्योदय के साथ ही गांव की गलियों से लेकर चौक-चौराहों तक हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई अपने लाल के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल था।



नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद जवान सुनील राम की अंतिम यात्रा।

HIGHLIGHTSपैतृक गांव परता में वीर सपूत सुनील राम का हुआ अंतिम संस्कार
जनप्रतिनिधि, अधिकारी व गणमान्य-हजारों की भीड़ ने दी अंतिम विदाई


 मनातू थाना क्षेत्र के केदल जंगल में बुधवार रात नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए पलामू पुलिस बल के वीर जवान सुनील राम का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव परता में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।


सूर्योदय के साथ ही गांव की गलियों से लेकर चौक-चौराहों तक हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई अपने लाल के अंतिम दर्शन के लिए व्याकुल था। “शहीद सुनील राम अमर रहें” और भारत माता की जय के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।


नम आंखों से हजारों लोगों ने किया अंतिम दर्शन

गुरुवार की शाम जैसे ही बलिदानी सुनील राम का पार्थिव शरीर हैदरनगर पहुंचा, तो क्षेत्र के लोग उमड़ पड़े। शव को जब उनके पैतृक आवास पर रखा गया तो माहौल गमगीन हो उठा।


महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था। बच्चे और युवा फूल-मालाएं लेकर घर पहुंचे और शहीद के चरणों में नमन किया। आसपास के गांवों से भी हजारों लोग पैदल, बाइक और ट्रैक्टर-ट्रॉली से परता पहुंचे।


स्वजनों की करुण पुकार ने झकझोरा

शुक्रवार की सुबह हरियाणा से पहुंचे माता-पिता मलुकन राम और चंद्रवती देवी जैसे ही बेटे के पार्थिव शरीर से मिले, तो पूरा गांव बिलख पड़ा।

मां बार-बार बेहोश हो रही थीं और पिता के आंसू थम नहीं रहे थे। पत्नी शोभा देवी बार-बार पति के पार्थिव शरीर से लिपट जातीं और गिड़गिड़ाते हुए रो पड़तीं।

वहीं उनके दोनों मासूम बेटे सात वर्षीय युवराज और पांच वर्षीय आयुष पिता की अर्थी पकड़कर सिसक रहे थे। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें भर आईं।


गरीब परिवार से निकले थे जांबाज सुनील

गांव के बुजुर्ग मुरारी पांडेय,फागुनी राम,हसन इमाम बताते हैं कि सुनील राम बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। बचपन से ही मेहनती और ईमानदार थे।

गांव में रहकर ही उन्होंने प्रारंभिक पढ़ाई की और पढ़ाई पूरी करने के बाद भी लगातार संघर्ष करते रहे। वर्ष 2012 में उन्होंने पुलिस बल में भर्ती होकर अपने सपने को साकार किया।

ग्रामीण विनोद पांडेय, अरविंद राम और संतोष पांडेय बताते हैं कि सुनील न केवल पुलिसकर्मी थे बल्कि गांव के युवाओं के मार्गदर्शक भी थे। वे हमेशा प्रेरित करते कि कठिन हालात में भी मेहनत और लगन से आगे बढ़ा जा सकता है।



अभियान एसपी ने दिया कंधा

अंतिम यात्रा से पूर्व शहीद के पार्थिव शरीर को पुलिसकर्मियों ने तिरंगे में लपेटा और फूल-मालाओं से सजाया। अभियान एसपी राकेश कुमार, एसडीपीओ एस. मोहम्मद याकूब, थाना प्रभारी अफजल अंसारी और सोनू कुमार चौधरी समेत तमाम अधिकारियों ने पार्थिव शरीर को कंधा देकर अंतिम यात्रा की शुरुआत की।


इसके बाद गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। लास्ट पोस्ट की धुन बजाई गई और फायरिंग कर शहीद को सलामी दी गई।


हजारों की भीड़ में गम और गर्व

जब बलिदानी सुनील की शव यात्रा परता गांव से निकली तो मानो पूरा जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोग घरों की छतों और सड़क के किनारे खड़े होकर शहीद को अंतिम विदाई दे रहे थे।


युवाओं के हाथों में तिरंगा था और उनके नारे गांव के कोने-कोने तक गूंज रहे थे। महिलाएं आंखों में आंसू लिए थालियों में फूल लेकर खड़ी थीं। हर किसी के चेहरे पर गम के साथ गर्व भी झलक रहा था।



बलिदानी सुनील को पिता ने दी मुखाग्नि

बलिदानी सुनील की शव यात्रा परता गांव से होते हुए सोन नदी तट तक पहुंची। वहां विधि-विधान से अंतिम संस्कार की तैयारी की गई।

पुलिसकर्मियों ने सलामी देने के बाद तिरंगा पिता को सौंपा। मलुकन राम ने कांपते हाथों से अपने वीर बेटे को मुखाग्नि दी। इस दृश्य ने सभी को भावुक कर दिया।
परता गांव में पसरा सन्नाटा





अंतिम संस्कार के बाद गांव में सन्नाटा छा गया। चौक-चौराहों पर सिर्फ शहादत और वीरता की चर्चा हो रही थी। लोग कह रहे थे कि सुनील ने अपने प्राणों की आहुति देकर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की कि शहीद परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठाई जाए।

नेताओं और अधिकारियों ने जताया शोक

अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचे हुसैनाबाद विधायक संजय कुमार सिंह यादव ने कहा कि यह पूरे क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है।



पलामू की धरती वीरों की जननी है और सुनील राम ने इसे फिर साबित कर दिया। उन्होंने सरकार से शहीद परिवार को सम्मानजनक मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी और बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने की मांग की।

भाजपा नेता कामेश्वर कुशवाहा, जेएमएम नेता रामप्रवेश सिंह, विवेकानंद सिंह, अशोक सिंह,रामप्रवेश मेहता और अन्य राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

मौके पर उपसमाहर्ता गौरांग महतो, सीओ संतोष कुमार, डीएसपी नीरज कुमार, अंचल निरीक्षक विनोद राम, अभियंता विजय राम समेत बड़ी संख्या में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।


अधूरा सपना छोड़ गए सुनील

शहीद सुनील राम ने हाल ही में परता गांव के बाहर नया मकान बनवाया था। लेकिन ड्यूटी और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण उसमें कभी स्थायी रूप से नहीं रह पाए।

उनका सपना था कि परिवार को बेहतर जीवन दें और बच्चों की पढ़ाई लिखाई उच्च स्तर पर करवाएं। मगर उनकी शहादत से यह सपना अधूरा रह गया।




पत्नी और बच्चों का भविष्य चिंता का विषय





ग्रामीणों बिनोद कुमार, जफर इमाम आदि का कहना है कि सरकार को शहीद की पत्नी और बच्चों के भविष्य को लेकर विशेष ध्यान देना चाहिए।

क्योंकि सुनील राम ने अपने परिवार और छोटे बच्चों को बहुत छोटी उम्र में छोड़ दिया है। उनकी विधवा पत्नी शोभा देवी और दोनों मासूम बेटे भविष्य की राह में सहारे की ओर टकटकी लगाए हैं।
उनकी शहादत कभी भुलाई नहीं जाएगी

अंतिम संस्कार में मौजूद युवाओं विवेकानंद सिंह, दिनेश कुमार, रिजवान खान आदि ने कहा कि सुनील राम की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। यह बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

गांव के बुजुर्गों का कहना था कि परता गांव को इस बात का गर्व है कि उसने ऐसा सपूत जन्म दिया, जिसने देश और समाज की खातिर प्राणों की आहुति दे दी।
सुनील राम का बलिदान पूरे झारखंड के लिए गौरव का विषय

पूर्व मंत्री कमलेश सिंह ने कहा कि सुनील राम का बलिदान पलामू ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के लिए गौरव का विषय है।

उनकी शहादत ने यह साबित कर दिया है कि पलामू की धरती वीरों की जन्मभूमि है। शुक्रवार को परता गांव में उमड़े जनसैलाब ने यह संदेश दिया कि शहीदों का बलिदान कभी भुलाया नहीं जाएगा।
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