इजरायल-ईरान जंग से भारतीय बासमती चावल को कैसे पहुंच सकता है नुकसान? Crisil की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मिडिल-ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव का असर भारतीय बासमती चावल निर्यात पर पड़ सकता है। Crisil की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में ईरान और इजरायल की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है। तनाव के कारण भुगतान में देरी हो सकती है। फर्टिलाइजर्स और हीरे जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी कुछ प्रभाव पड़ सकता है पर बासमती चावल की तुलना में कम होगा।

मिडिल-ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच का तनाव अपने चरम पर है और इन दोनों देशों के टकराव की वजह से भारत में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। दरअसल, मिडिल-ईस्ट में चल रही अनिश्चितताओं के कारण भारतीय बासमती चावल क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।
क्या पड़ सकता है प्रभाव?
Crisil की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारतीय बासमती चावल के निर्यात में ईरान और इजरायल की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है और मौजूदा तनाव के कारण इस पर सीमित प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मिडिल-ईस्ट, अमेरिका और यूरोप के अन्य देशों को निर्यात करने की भारत की क्षमता मांग जोखिम को कम करती है। लेकिन लंबे समय तक संकट रहने से इन क्षेत्रों में भुगतान में संभावित देरी हो सकती है।
और किन क्षेत्रों पर पड़ सकता है असर?
हालांकि, भारतीय बासमती चावल के अलावा फर्टिलाइजर्स और पॉलिश किए गए हीरे जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी कुछ प्रभाव देखने को मिल सकत है, लेकिन बासमती चावल क्षेत्र की तुलना में यह कम होने की उम्मीद है।
घरेलू हीरा पॉलिश करने वालों के लिए पिछले साल कुल हीरे के निर्यात में इजरायल का योगदान करीब 4 प्रतिशत था, जो इजरायल को मुख्य व्यापारिक केंद्रों में से एक बनाता है। हालांकि, तनाव के वजह से पॉलिश करने वाले बेल्जियम और संयुक्त अरब अमीरात की तरफ वैकल्पिक व्यापारिक केंद्रों की नजरिए से जा सकते हैं।
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